Thursday, December 21, 2017

गुजरात में हारा कौन!

मोदी की भाजपा गुजरात में जीत गई है राहुल की कांग्रेस भी वहां जीतने जैसा ही  व्यवहार कर रही है सवाल है कि अगर गुजरात का जनादेश मोदी और राहुल दोनों की जीत है तो फिर वहां हारा कौन है? वैसे तो कहा जाता है कि राजनीति में दो और दो हमेशा चार नहीं होते यों भी चुनाव कोई क्रिकेट का मैच नहीं हैं जहां एक टीम के जीतने का मतलब दुसरे को हारना ही होता हैदेखा जाए तो  गुजरात का मैच ड्रा भी नहीं हुआ है क्योंकि विधानसभा में 99 सीटे जीतकर 22 वर्ष से लगातार सत्ता में काबिज भाजपा फिर से सरकार बना रही है सीटों के समीकरण और वोट प्रतिशत के अनुसार ये भाजपा की अप्रतिम जीत है 

कांग्रेस की तरफ देखा जाए तो राहुल गाँधी के तेवर आजकल  क्रिकेट के मैच मे हारी हुई उस टीम के कप्तान की तरह है जो हमेशा जीरो पर आउट होता था लेकिन पहली बार वह  40 - 50  रन ठोककर आया है उसके साथी उसकी वाह - वह ऐसे कर रहे हैं जैसे उसने मैच ही जीत लिया हो? कांग्रेस के नेताओं को सोचना चाहिए कि कप्तान का आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए तो ये पारी ठीक है, मगर उन्हें  मालुम होना चाहिये कि राजनीति के खेल में जीतकर सरकार बनाना ही महत्वपूर्ण हैं राहुल गांधी अगर सचमुच परिपक्व हो रहे हैं तो ये कांग्रेस के साथ ही देश के लिए भी एक शुभ संकेत हैं कुल जमा अगर गुजरात  चुनाव के गहरे राजनीतिक मायने निकाले जाए तो कांग्रेस तो वहां हारी तो है मगर वक्ती तौर पर राहुल गांधी ने अपना कद थोड़ा  ऊँचा ज़रूर  कर लिया है मगर ये कहना मुश्किल है कि राहुल गांधी में जो बदलाव दिख रहा हैं वह सिर्फ तात्कालिक हैं या स्थाई

इतने लम्बे समय तक गुजरात में सरकार में रहने के बावजूद चुनाव जीतना भाजपा के लिए सचमुच एक बड़ी बात हैं मगर ये भी सही है कि गुजरात जीतने के लिए पार्टी को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा प्रचार के दौरान अपने गृह राज्य में प्रधानमंत्री मोदी को अपने राजनीतिक तरकश के सभी तीर चलाने पड़े गुजरात में ये भाजपा से ज्यादा मोदी की जीत है पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का सांगठनिक  कौशल भी इसका एक बड़ा कारण है मगर ये भी सही है कि गुजरात जीतने के लिए मोदी शाह की जोड़ी ने जितना  पसीना बहाया उसे देखते हुए  उनकी जीत और बड़ी होनी चाहिये थी गुजरात के मतदाताओं ने उन्हें जरूर सोचने के लिए मजबूर किया है कि वे कुछ भी हल्के से ले
दरअसल  देखा जाए तो ये जीत गुजरात के मानस की जीत है गुजरातियों ने अपने ठेठ व्यापारिक अंदाज में एक जबरदस्त सौदा किया है असली सौदा वो होता है जिसमें माल बनाने वाला, माल बेचने वाला और माल खरीद कर इस्तेमाल करने वाला - सभी संतुष्ट हैं गुजरात जनादेश 2017 एक ऐसा ही सौदा है भाजपा को जिता दिया मगर उसे उतनी सीटें नहीं  दी जिससे उसके नेताओं की हेकड़ी आसमान छूने लगे कांग्रेस को पहले से कुछ सीटें ज्यादा दे दी मगर इस अन्तर्निहित चेतावनी के साथ कि  गुजरात को अगर फिर से विभाजनकारी, जातिवाद एजेण्डे की तरफ ले कर  जाएगी तो उसके लिए ठीक नहीं होगा कांग्रेस से भाजपा में आये ज्यादात्तर नेताओं को मतदाताओं ने नकार कर उन्हें बता दिया की वह आयाराम गयाराम के खेल को पसंद नहीं करती


गुजरातियों ने हार्दिक पटेल को भी संदेश दे दिया कि राज्य को जातिवादी संघर्ष की आग में झोके और जोश में अपने होश कायम रखे गुस्से के बावजूद व्यापारी वर्ग ने नोटबंदी और जीएसटी पर मुहर लगा कर ये भी बता दिया कि वे विकास की यात्रा में देश के साथ चलने को तत्पर है कुल मिलाकर यह जनादेश ऐतिहासिक जनादेश है, क्योंकि इसमें 2019 के आम चुनाव के लिए गहरे संकेत दिये है अब ये  नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी पर निर्भर करता है कि वे इन परिणामों पर सिर्फ इतरायेंगे या फिर इनके  निहितार्थ को गहराई से समझकर उसपर अमल करेंगे 
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उमेश उपाध्याय