Wednesday, August 29, 2018

राहुल गांधी और आरएसएस #RSS


राहुल गांधी जबरदस्त राजनीतिक मतिभ्रम के शिकार है एक दिन वे संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गले लिपटकर 'प्यार बांटने ' का उपक्रम करते है, दूसरे दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हैं तो तीसरे दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना इस्लामिक आतंकवादी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से कर देते हैं अगर राहुल सचमुच में आरएसएस को आतंकवादी संगठन मानते हैं तो फिर वाजपेयी जी और नरेन्द्र मोदी तो स्वयंसेवक ही नहीं बल्कि संघ के प्रचारक रहे हैं इन दोनों घोषित स्वयंसेवकों के प्रति उनके इस कथित प्यार को क्या माना जाए?
राहुल गाँधी कोई दूध पीते बच्चे नहीं हैं वे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हैं उनकी पार्टी ने आज़ादी के बाद से लगातार देश पर राज किया है पिछले चौदह साल से वे खुद भी अमेठी से सांसद हैं इसलिए उनकी बातों को महज मजाक में उड़ाकर टाला नहीं जा सकताराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनके वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है ये भी हो सकता है कि वे संघ की लोकप्रियता और समाज जीवन में लगातार बढ़ते उसके प्रभाव से परेशान हों परंतु संघ की तुलना एक घोषित इस्लामिक आतंकवादी संगठन से करना उनके राजनैतिक सलाहकारों की अज्ञानता, इतिहास की उनकी नासमझी और राजनैतिक अपरिपक्वता को ही दिखाता है

उनसे पूछा जाना चाहिए कि इतना गंभीर आरोप लगाने से पहले क्या उन्होंने इसकी तैयारी की थी या फिर यूं ही कुछ कह दिया? अगर वे सचमुच में ऐसा मानते है तो उनसे कुछ सवाल जरूर बनते हैं

ध्यान रखने की बात है कि सारी दुनिया आज इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) की पाश्विक मनोवृत्तियों को कारनामों के खिलाफ संगठित और वैचारिक युद्ध लड़ रही है इस्लामिक स्टेट जैसे खतरनाक संगठन उसी मुस्लिम ब्रदरहुड के विचारों पर बने हैं और उसी की विचारधारा पर चल रहे हैं सऊदी अरब, मिस्र तथा संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुख्य इस्लामिक देशों में भी मुस्लिम ब्रदरहुड पर प्रतिबंध लगा हुआ है ये देश उसकी विचारधारा को हिंसक मानते हैं ये संगठन और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल  भी रहा है दुनिया के कई और देश जैसे अमेरिका, फिलीपीन्स, बहामा, लीबिया, बहरीन आदि में हुई आतंकवादी वारदातों और गतिविधियों में भी उसके सदस्यों का हाथ मिला है इस्लामिक स्टेट के अलावा अलकायदा, हमास और इस्लामिक सैल्वेशन फ्रंट जैसे जिहादी संगठनों की फंडिग तथा समर्थन के पीछे भी मुस्लिम ब्रदरहुड सक्रिय रहा है विश्व में जिहादी आतंक का पर्याय बन चुका ओसामा बिन लादेन भी मुस्लिम ब्रदरहुड का ही सदस्य था

अब सवाल ये बनता है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की तो क्या उनके सलाहकारों ने ये सब जानकारी उन्हें नहीं दी थी? अगर श्री गांधी ने बगैर जाने ये बात कही है तो ये चिंता की बात है यदि उन्हें ये जानकारी थी और फिर उन्होंने संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की तो ये और भी बड़ी चिंता की बात है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है जो भारत के संविधान के अनुसार खुले तौर पर अपनी गतिविधियां चलाता है ऐसे राष्ट्रवादी संगठन की तुलना दुनिया भर की सरकारों द्वारा आतंकवादी घोषित एक संगठन से करना कुछ समझ में नहीं आता

एक सवाल और भी बनता है यदि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी सचमुच में अपने कहे में यकीन रखती है तो फिर वो किस बात का इंतजार कर रहे है 2004 से लेकर 2014 तक केन्द्र में उनकी सरकार थी खुद राहुल गांधी का कद इतना बड़ा था कि वे सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के आदेशों की बख्खियां उधेड़ देते थे तो तब उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर रोक क्यों नहीं लगाई ये मान भी लिया जाएं कि उन्हें संघ के बारे में 'वास्तविक जानकारी' अब हुई है तो फिर वो कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्यों के अपने मुख्यमंत्रियों से कहकर संघ पर रोक क्यों नहीं लगा देते? यहाँ तो अब भी उनका राज है

और यदि ये माना जाए कि कांग्रेस अध्यक्ष ने ये बात बस यों ही कह दी तो फिर तो कांग्रेस और देश के सामने एक भारी समस्या खड़ी हुई है देश के मुख्य विपक्षी दल का अध्यक्ष और 2019 में स्वघोषित प्रधानमंत्री पद का दावेदार यदि आतंकवाद जैसे बड़े संकट के बारे में बगैर सोचे समझे हुए कुछ बोल देता है तो फिर उनकी पार्टी और देश के प्रजातंत्र के भविष्य के लिए हम सब प्रार्थना ही कर सकते हैं!
#RSS #NarendraModi #RahulGandhi 

उमेश उपाध्याय
29 अगस्त 2018