Wednesday, June 6, 2018

शहरों में फैलती नक्सली हिंसा




तमिलनाडु  शहर  तूतीकोरन  में बंद किये गए कारखाने से देश की जरूरत का 40 प्रतिशत तांबा  बनता था 30 हजार से ज्यादा कामगार इस कारखाने पर आश्रित थे करीब 13 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा कीमत का तांबा अब भारत को विदेशों से मंगाना पड़ेगा तीस हज़ार लोग खाली हो जायेंगे सो अलग  तो लाजिमी सवाल ये  बनता है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा इस कारखाने को बंद करने से किसका फायदा होने जा रहा है? निश्चित ही तमिलनाडु राज्य, वहां के कामगार और स्थानीय लोगों को इससे नुकसान ही होगा तो फिर ऐसी स्थिति क्यों हुई कि हिंसा और आगजनी के कारण राज्य सरकार को ये कारखाना बंद करना पड़ा अगर लोगों को पर्यावरण को पहुँचने वाले नुक्सान को लेकर  अगर सही शिकायतें भी थीं  तो उनको ठीक किया ही जा सकता था 

तो फिर स्टरलाइट कम्पनी के खिलाफ हो रहे प्रदशनों को किसने उग्र हो जाने दिया? ऐसी परिस्थितियां किसने उत्तपन्न की कि वहां 13 लोगों की मौत हुई? सुपरस्टार से राजनेता बने रजनीकांत के एक बयान इसके कुछ संकेत मिलते हैं रजनीकांत  ने कहा की इस प्रदर्शन में कुछ समाज विरोधी तत्व घुस गए थे इन असमाजिक तत्वों  ने पुलिस पर हमला किया इन्होंने कलक्टर कार्यालय में काम कर रही महिलाओं तक को निशाना बनाया उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश की ऐसी स्थिति उत्पन्न की गयी कि वहाँ अराजकता फ़ैल गयी उसके बाद पुलिस ने गोली चलाई इसमें 13 लोग मारे गए

इस तरह का ये पहला वाकया नहीं है  पिछले महीन कावेरी जल विवाद के मुद्दे पर प्रदर्शनकारियों ने आई पी एल मैच चेन्नई में कराये जाने का विरोध किया था उस समय भी पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया था रजनी कांत ने इस घटना की भी कड़ी निंदा की इसी तरह चेन्नई की मरीना बीच पर पिछले साल जलाईकहू पर रोक के विरोध में हो रहा प्रदर्शन भी हिंसक हो गया था रजनीकांत ने बहुत गुस्से में कहा कि इस तरह के उग्र प्रदर्शन अगर रहे तो ''तमिलनाडु एक मुर्दाघर में तब्दील हो जाएगा'' देश के शहरों में बलवा मचाकर वहाँ अराजकता फ़ैलाने की कोशिश अनायास या स्वतःस्फूर्त नहीं है

दरअसल बात सिर्फ तमिलनाडु की नहीं है पिछले कुछ महीनों में देश के कई हिस्सों में हुए प्रदर्शन अचानक से हिंसक हो गए हैं मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश तक अलग-अलग मुद्दो पर हुए इन प्रदर्शनों में अचानक कुछ बाहरी तत्व जाते हैं जो आग में घी डालकर तुरंत भाग जाते हैं संवेदनशील मामलों में जब पारा गर्म हो रहा होता है तो हल्की सी चिंगारी बड़ी आग में बदल जाती है और किसी स्थानीय मुद्दे पर आरंभ हुआ आंदोलन एक हिंसक रूप धारण कर लेता है पुलिस और प्रशासन पर सुनियोजित हमला होता है और फिर मामला हाथ् से निकल जाता है इसमें एक पैटर्न है वह है गुरिल्ला युद्ध का ये गुरिल्ला तरीके नक्सलियों और माओवादियों की पहचान है भारत नक्सलवादियों और माओवादियों के खिलाफ महाराष्ट्र, आंध्र, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के जंगलों में लम्बे समय से एक निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है  नक्सल आतंकवाद के खिलाफ पिछले एक दशक से चल रही इस जंग में भारत के सुरक्षाबलों और तंत्र ने एक हद तक कामयाबी हासिल की है  ये भारत तोड़ो ताकतें इन इलाकों में अब ''बैकफुट '' पर जाती दिख रही हैं देश के सुरक्षा बलों ने कई स्थानों पर इन हिंसक नक्सलियों और राष्ट्रविरोधी ताकतों की कमर तोड़कर रख दी है

बड़े ही सुनियोजित तरीके से ये हिंसक माओवादी ताकतें अब अपने को शहरों में स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं देश के कई हिस्सों में समाज में जो स्वाभाविक  असंतोष या विभाजक रेखाएं हैं उनका ये तत्व रणनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं ये असंतोष कहीं जातिगत हैं तो कहीं मजहवी, कहीं आर्थिक असमानता से पैदा हुए हैं है तो कहीं सांस्कृतिक हर जगह अलग-अलग रणनीति बनाकर और वहां सक्रिय भारत विरोधी ताकतों से तालमेल करके ये नक्सलवादी तत्व देश के शिक्षा संस्थानों  में घुसपैठ कर रहे हैं


ये कहीं जिहादियों से हाथ मिला रहे हैं तो कहीं हिंसक जातिवादी संगठनों से कई स्थानों पर विदेशों से सहायता मिलने वाले अन्य भारत विरोधी मजहवी संगठनों से ये सांठगांठ कर रहे हैं इनकी नीति शहरों में असंतोष भड़काकर हिंसा फैलाने की है ताकि भारत की तरक्की का रोका जा सके ये संदेश दिया जा सके कि देश में सबकुछ ठीक नहीं है अफसोस है कि देश भी स्थापित राजनीतिक  पार्टियां भी इस घातक खेल में जाने अनजाने में इनका साथ दे रही है देश के सभी ज़िम्मेदार संगठनों और पार्टयों को सावधान रहना होगा कि वे छोटे मोटे और तात्कालिक राजनीतिक  लाभ के लिए देश को बांटने के इस खतरनाक खेल का का हिस्सा बने राष्ट्र को इस षड्यंत्र को समझने और इससे सतर्क रहने की जरूरत है 

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