Thursday, May 9, 2019

मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध : यानि मोदी की ट्रिपल सेंचुरी





क्रिकेट में तिहरे शतक यदा कदा ही लगते है।  २०:२० और  एक दिवसीय  क्रिकेट के बाद तो यों भी तिहरे शतक अब बस कहानी बन कर ही रह गए हैं। टेस्ट क्रिकेट यो भी अब कम खेला जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा कुख्यात पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध लगाना एक तरह से दुर्लभ हो चुका तिहरा शतक ही है। आप कह सकते है वो कैसे?

पहला शतक  : पाकिस्तान चारों खाने चित
दूसरा शतक  : आतंकवाद पर करारी चोट
तीसरा शतक : चीन को कूटनीतिक मार

आतंकवादियों के सरताज और जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव  पहली बार २००८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ में आया था। इस दुर्दांत दहशतगर्द को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने में दस बरस से ज्यादा का वक्त लगा। पाकिस्तान की शह पर कश्मीर में आतंक मचाने वाला जैश-ए-मुहम्मद और मसूद अजहर पाकिस्तान के लिए खासे महत्वपूर्ण  "नॉन स्टेट एसेट" यानी गैर सरकारी असैन्य असले की तरह थे। जैश-ए-मुहम्मद द्वारा घोषित रूप से आतंकी कार्यवाहियां करने के बाद भी पाकिस्तान की सेना उसे अपनी गोद में बैठाए हुए थी। इस नाते उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा अब नामित होना पाकिस्तान की कड़ी कूटनीतिक हार है। ये अलग बात हैं कि अपनी झेंप मिटाने के लिए पाकिस्तान अब कह रहा हैं कि उसकी जीत हुई है।  क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की घोषणा में कश्मीर और पुलवामा का जिक्र नहीं है।  खैर, ऐसे देश का क्या हो सकता है जो अपने एक नागरिक पर प्रतिबन्ध लगने को भी अपनी कूटनीतिक जीत बताता है।

इसका दूसरा असर पड़ेगा पाकिस्तान की शह पर पुरे दक्षिण एशिया में फैले आतंकी ढांचे पर। याद कीजिये बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले पर पाकिस्तान कैसे तिलमिलाया था। दरअसल बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद का ट्रेनिंग कैंप था। हमले के वक्त वहाँ कुछ सौ प्रशिक्षित आतंकवादियों के होने की खबर थी। इनके सफाए के बाद अब सरगना मसूद अजहर पर रोक लगाने से जैश-ए-मुहम्मद संगठन तक़रीबन पंगु हो जाएगा। कुल मिलाकर पाकिस्तान ने कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में आतंकवाद आतंक बरपाने के लिए जो ढांचा तैयार किया है, उस पर इस रोक पर गहरा असर पड़ेगा।

वैसे पाकिस्तान की सेना दुनिया को गच्चा देने में माहिर है।  दशकों तक तक आतंक ख़त्म करने के नाम पर उसने अमेरिका से लाखों डॉलर ऐंठे है। तो वो आसानी से मानेगा नहीं। फिलहाल इतना ही कहाँ काफी है कि उसकी आतंकवादी मशीनरी को गहरा झटका लगा है। पाकिस्तान अब भी आतंकवादियों को अपनी सैन्य रणनीति और कूटनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है नहीं तो वह उन्हें कब का खतम कर चुका होता।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण असर पड़ेगा चीन के इरादों पर। पाकिस्तान को विश्व बिरादरी में पिछले कोई एक दशक से कोई हैशियत नहीं रही। मोटे-२ तौर पर पाकिस्तान को अब दुनिया #जिहादी #इस्लामिक #आतंक का अड्डा मान चुकी है। #मसूदअजहर के मामले में पिछले दस साल से चीन ही अड़ंगा डाल रहा था। यो चीन के लिए खुद मसूद अज़हर कोई मायने नहीं रखता। परन्तु वह इसके नाते पाकिस्तान को जता रहा था कि वह उसका कितना पक्का दोस्त है। चीन की दक्षिण एशिया नीति में पाकिस्तान उसका एक मोहरा भर है। मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध न लगने देने का लॉलीपॉप उसने #पाकिस्तान को खूब चुसाया है। उसके बदले औनी -पौनी शर्तों पर उसने पाकिस्तान में सीईपीसी यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर में पाकिस्तान को बेतरह लूटा है। इस मामले का इस्तेमाल चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए भी किया है। 

साथ ही ऐसा भी लगता  है कि चीन इस मामले में भारत के संकल्प, उसकी कूटनीतिक गहराई और उसके नेतृत्व के इरादों का इम्तिहान भी ले रहा था। उस तरह से देखा जाए तो भारत का राजनीतिक नेतृत्व और उसकी कूटनीति इस अग्नि परीक्षा से और सुनहरी चमक के साथ बाहर निकली है। कहा जा सकता है कि #प्रधानमंत्रीमोदी #चीन की इन तिकड़मों को उस तरह काटते रहे जैसे की टेस्ट मैच खेलने वाला एक टिकाऊ बल्लेबाज़ सामने से आते बाउंसर का सामना करता है। वह कभी कभी डक करते हुए उससे बचता है।  कभी उसे हुक करता है। मोदी ने भी ऐसा ही किया। कभी अमेरिका के जरिये, तो कभी फ्रांस के जरिये चीन पर दबाव बनाया। कितनी भी तेज़ बाउंसर की तिकड़म भरी बॉल आयी। परन्तु मोदी ने पिच नहीं छोड़ी। एक कामयाब बल्लेबाज़ की तरह आखिरकार अपना लक्ष्य हासिल किया। मसूद  अज़हर पर रोक के रूप में शानदार तिहरा शतक जड़ दिया। प्रधानमंत्री मोदी , विदेश मंत्रालय, भारत के कूटनीतिज्ञों, और राजनयिकों को इसके लिए कोटि कोटि बधाई।

पर  पाकिस्तान का आतंकवाद और चीन की तिकड़में कोई पांच दिवसीय टेस्ट मैच नहीं है, जो एक जीत के बाद ख़त्म हो जाए। यह तो लगातार चलने वाला षडयंत्र है जिससे देश को हमेशा खतरा बना रहने वाला है। इसलिए देश के नेतृत्व को लगातार चौकन्ना रहने की जरूरत है। जिस तरह का मनोबल, साहस, योजनापूर्ण रणनीति, धैर्य,  दमखम और समयानुकूल आक्रामकता मोदी ने चीन और पाकिस्तान के खिलाफ मसूद अज़हर के मामले में दिखाई है। उसकी जरूरत भारत को अभी आने वाले कई बर्षो तक पड़ेगी।  उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी यूँ ही सेंचुरी पर सेंचुरी जमाते रहेंगे और 'टीम इंडिया' को आगे ले जाते रहेंगे। 

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