Just remembered these lines that my school teacher Siyaram sir used to sing. I think Pradeep wrote these lines
सुख के साथी मिले हज़ारों ही लेकिन, दुःख में साथ निभाने वाला नहीं मिला .
जब तक रही बहार उमर की बगिया में, जो भी आया द्वार चाँद लेकर आया.
पर जब ये उड़ गयी गुलाबों की खुशबू, मेरा आंसू मुझ तक आते शरमाया.
जिसने देखी बस भरी डोली देखी, नहीं किसीने पर दुल्हन भोली देखी.
मेला साथ दिखाने वाले सभी, सूनापन बहलाने वाला नहीं मिला.
सुख के साथी मिले हज़ारों ही लेकिन, दुःख में साथ निभाने वाला नहीं मिला.....
सुख के साथी मिले हज़ारों ही लेकिन, दुःख में साथ निभाने वाला नहीं मिला .
जब तक रही बहार उमर की बगिया में, जो भी आया द्वार चाँद लेकर आया.
पर जब ये उड़ गयी गुलाबों की खुशबू, मेरा आंसू मुझ तक आते शरमाया.
जिसने देखी बस भरी डोली देखी, नहीं किसीने पर दुल्हन भोली देखी.
मेला साथ दिखाने वाले सभी, सूनापन बहलाने वाला नहीं मिला.
सुख के साथी मिले हज़ारों ही लेकिन, दुःख में साथ निभाने वाला नहीं मिला.....
No comments:
Post a Comment