Friday, August 21, 2015

बिहार : मोदी vs ऑल..! #BiharPolls #बिहार_ठगबंधन

                                  बिहार : मोदी vs ऑल..!

राजनीति वाकई संभावनाओं का ही खेल है। अगर इसे आज देखना हो तो बिहार में देखा जा सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सारे मोदी विरोधियों को साधने में लगे हैं, तभी तो दिल्ली में एक दूसरे की विरोधी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को भी उन्होंने अपने पाले में लेने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के साथ मंच साझा किया। अपने धुर विरोधी लालू यादव को वो पहले ही अपने साथ ले चुके हैं। हालांकि ज़मीनी तौर पर इन पार्टियों के लोग कितने साथ आएंगे, ये देखने की बात है क्योंकि राजनीति में अक्सर दो जमा दो सीधे ही चार नहीं हो जाते।

नीतीश की इस कवायद का क्या नतीज़ा होगा ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे, मगर इससे एक बात साफ़ है कि बिहार में अब चुनाव मोदी बनाम ‘बाकी सब’ हो गया है। नरेन्द्र मोदी को भी ऐसी चुनौती माफिक आती है। स्वभाव से ही वो संघर्ष पसंद करते हैं। उनकी ये बानगी आरा और सहरसा की आम सभाओं में देखने को मिली। दुबई क्रिकेट स्टेडियम में भारतीयों की सभा की गर्मजोशी से सीधे लौटे नरेंद्र मोदी बिहार की सभाओं में पूरे जोश में थे। आरा की रैली में उन्होंने बिहार के लिए सवा लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया। 1,25,000 करोड़ रुपये का ये पैकेज बिहार चुनाव का बड़ा मुद्दा बन सकता है।

‘मोदी बनाम बाकी सब’ के इस खेल में आरा की रैली से पहले बिहार के मुद्दे काफी व्यक्तिगत किस्म के हो गए थे। मसलन, इससे पहले बिहारियों का डीएनए, लालू का जंगलराज, मोदी और नीतीश की शैली और उनके पुराने बयान ही चर्चा का विषय बन रहे थे। ये मानना पड़ेगा कि सवा लाख करोड़ के पैकेज की उम्मीद किसी ने नहीं की थी। मोदी भी इसको जानते थे, इसलिए उन्होंने नीतीश के मांगे गए 12000 करोड़ से बात शुरू करके अपनी खास स्टाइल में सवा लाख करोड़ के ऐलान पर ख़त्म की। नीतीश ने मोदी के इस अंदाज़ पर सवाल उठाया।

इन दोनों महारथियों की इस राजनीतिक कुश्ती में इस बार नीतीश मोदी के दांव में आ गए लगते हैं, क्योंकि बिहार के लिए स्पेशल पैकेज की मांग वे खुद ही करते रहे हैं। मोदी के इतने बड़े पैकेज के ऐलान के बाद नीतीश ने इसके तौर-तरीके और भाषा पर सवाल उठाया, मगर इसकी तार्किक काट अब तक उनका खेमा नहीं दे पाया है। उनके लिए एक दुविधा होगी कि जितनी बार वे इस स्पेशल पैकेज पर सवाल उठाएंगे, उतनी बार ही वे मोदी के पाले का खेल खेलेंगे। यानी इस बात को वो जनता तक पहुंचाने में मोदी की मदद करेंगे, यानी इसकी चर्चा करें तो भी उनको नुकसान और अगर चर्चा न करें तो बीजेपी सवा लाख करोड़ के इस पैकेज को खूब भुना सकती है, क्योंकि नीतीश का मुख्य मुद्दा तो बिहार का विकास है।

एक तरह से मोदी के इस ऐलान ने बिहार के विकास को एक बार फिर बड़ा मुद्दा बना दिया है। ये एक अच्छी बात है क्योंकि नीतीश और मोदी दोनों ही मुख्यमंत्री के तौर पर विकास के समर्पित नेताओं के तौर पर जाने जाते है। ये सही है कि बीजेपी से अलग होने के बाद से नीतीश राज्य में जातीय समीकरणों की एक अलग बिसात बिछाने में लगे हैं, मगर उनकी छवि एक ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में ही है, जो विकास करने का इच्छुक है। लालू के साथ गठबंधन के बावजूद उनकी यही छवि ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। मोदी इसीलिये लगातार जंगल राज की बात कर उनकी इसी छवि को तोड़ना चाहते है।

उधर, मोदी के लिए भी बिहार का चुनाव एक बड़ी चुनौती के समान ही है। संसद का मॉनसून सत्र कांग्रेस के हंगामे के कारण बर्बाद हो जाने के बाद देश की निगाहें बिहार के चुनाव की ओर लगी हैं। प्रधानमंत्री मोदी से देश को ढेर सारी अपेक्षाएं और उम्‍मीदें हैं। लोग उम्मीद कर रहें कि वे कब अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी उन सुधारवादी क़दमों को उठाएंगे, जिनसे देश के कारखानों में काम तेज़ी से चालू होगा, कंस्ट्रक्शन उद्योग में फिर से जान आएगी, सड़क-पुलों-बांधों का निर्माण होगा और रोज़गार के नए रास्ते खुलेंगे। इन कदमों के लिए ज़रूरी भूमि सुधार कानून और जीएसटी जैसे मामले संसद में अटके पड़े हैं।

इस तरह देखा जाए तो बिहार के लिए इस पैकेज से अगर बीजेपी को चुनाव में फायदा होता है, तो आरा की सभा में प्रधानमंत्री मोदी का सवा लाख करोड़ के पैकेज का ये ऐलान देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी संजीवनी का काम करेगा।

http://khabar.ibnlive.com/blogs/umesh-upadhyay/bihar-assembly-election-2015-6-401479.html

उमेश उपाध्याय
21 अगस्त 2015

No comments:

Post a Comment