Monday, August 31, 2015

शीना मर्डर केस: समृद्धि का अभिशाप ‪#‎WhoKilledBora‬‪ #‎murdermostfoul‬ ‪#‎SheenaBoraMurder‬

शीना मर्डर केस में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले की असलियत चाहे जो भी हो अब तक जो भी बातें सामने आईं हैं उसने समाज के अंतर्मन को अंदर तक हिलाकर रख दिया है। व्यक्तिगत जीवन में लोग कैसे भी रहें अथवा संबंध रखें ये उनका निजी मामला माना जाता है, परंतु जब आपके संबंध और उससे उठी गांठें समाज के न्यूनतम स्वीकृत दायरों को भी भींच कर रख दें तो फिर कोई भी मुद्दा व्यक्तिगत नहीं रह जाता। इस मामले में बहुत से सवाल हैं जो शायद पुलिस, अदालत और कानून के दायरे से कहीं बड़े और व्यापक हैं।

पुलिस की तहकीकात अभी जारी है और जल्दी में कोई निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं, मगर कुल मिलाकर अब तक जो बातें छन कर आईं हैं वो लालच, महत्वाकांक्षा निर्ममता, उदासीनता और रिश्तों के खोखलेपन की एक घिनौनी तस्वीर पेश करती हैं। एक ऐसी तस्वीर जो परिवार की बुनियाद पर ही प्रहार करती है। पिछले दिनों में हर सामान्य नागरिक हर व्यक्ति दूसरों से या फिर खुद से कुछ सवाल पूछता नज़र आता है। ये ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर किसी तर्क या कानूनी नुक्ते में नहीं मिल सकता।
INDRANI-MUKHERJEE
मसलन इंद्राणी मुख़र्जी के कितने पति थे या हैं? उनका बेटा मिखाइल तीन साल से चुप क्यों था? इंद्राणी वाकई क्या इतनी शातिर हैं कि अपने पूर्व पति, वर्तमान पति, बेटे, दत्तक पुत्री, पुलिस, मां-बाप सबको एक साथ खेल खिला रहीं थीं? आखिर संजीव मल्होत्रा का लालच क्या था? पीटर मुख़र्जी जैसा व्यक्ति क्या वाकई कुछ नहीं जानता? उसका बेटा राहुल जिसे कि शीना का प्रेमी बताया जा रहा है वह भी तीन साल तक कुछ बोला क्यों नहीं? इस डिजिटल दुनिया में किसी ने तीन साल तक एक लड़की को ढूंढ़ने तक की कोशिश नहीं की? अगर यहां गैर पढ़े लिखे लोगों का सवाल होता तो शायद मन मान भी जाता कि उनके पास साधन नहीं थे, मगर ये तो सब समाज के तथाकथित संभ्रांत, शिक्षित, आधुनिक और संपन्न लोग हैं, ये क्यों चुप रहे?
ये चुप्पी मन को कुरेदती है। इस अपराध के दो कारण हो सकते हैं। एक तो पैसा और दूसरा राहुल और शीना के आपसी संबंधों पर इंद्राणी की आपत्ति। वे अपने निजी जीवन में कैसी हैं उनपर टिप्पणी करने का मकसद यहां नहीं है मगर उनके संबंधों का जो इतिहास आज मीडिया में आ रहा है उससे साफ़ है कि नैतिकता और लोक मर्यादा की सामान्य परिभाषा उनपर लागू नहीं होती। इंद्राणी तो परिवार, स्त्री-पुरुष संबंधों की किसी भी सहज स्वीकृत मान्यता को मानती नज़र नहीं आतीं। राहुल न तो उनके पेटजाये हैं ना ही उनसे शीना का कोई रक्त संबंध है, तो फिर क्या राहुल और शीना के संबंधों के कारण वो हत्या जैसी साजिश रचेंगी ये बात सीधे पचती नहीं है।
तो फिर एक ही बात समझ आती है वो है निन्यानवे का फेर, यानि ये वारदात पैसे और संपत्ति के कारण हुई। यहीं मन दहल जाता है, ऐसा नहीं है कि दौलत के लिए किया गया ये पहला और आखिरी अपराध है। पैसे के लिए आदमी कई बार कुछ भी कर गुज़रता है। मगर इस मामले में रिश्तों की कड़ियां इसे अनूठा बना देती हैं। यहां मिखाइल और ड्राइवर शिवनारायण को छोड़ दिया जाए तो बाकी किरदारों का पेट गर्दन तक भरा हुआ है। फिर पैसे के लिए इतनी मारामारी? इस मामले से ये और लगता है कि हमारे समाज में भी एक ऐसा वर्ग पैदा हो गया है, जिसके लिए मान मर्यादा की कोई लक्ष्मण रेखा नहीं है, उसका लक्ष्य है कि किसी भी तरह से बस पैसा हासिल हो जाये बस।
वैसे पैसा कमाना और जोड़ना अपने आप में कोई पाप नहीं है मगर पैसा तो किसी लक्ष्य के लिए होता है। पैसे से आप बहुत कुछ कर सकते हैं। मगर अपने आप में सिर्फ पैसा कुछ नहीं है। यानि यदि आपके पास कोई मकसद या उद्देश्य नहीं है तो फिर पैसा बस पैसे के लिए हो जाता है। इसका कोई अंत नहीं। लक्ष्यविहीन समृद्धि अपने साथ कई परेशानियां और विकार लेकर आती हैं।
इंद्राणी भी, लगता है कि इसी मायाजाल में फंसी, फिर उन्होंने सब कुछ दांव पर लगा दिया। महत्वाकांक्षा और लालच में वे सब भूल गयीं। परिवार, रिश्ते, पति और यहां तक कि अपने बच्चे भी जिन्हें उन्होंने नौ महीने तक अपनी कोख में रखा था? उनकी सारी संवेदनाएं, भाव और कोमलताएं पैसे की इस अंधी ललक में मानो तिरोहित हो गईं। एक तरह से देखा जाए तो जो समृद्धि किसी के लिए सम्मान और फ़ख्र की बात होती है वही इंद्राणी और उनसे जुड़े लोगों के लिए अभिशाप बन गई। बचपन में पढ़ा एक दोहा इस सिलसिले में याद आ गया-
" जो जल बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़ै दाम। दोनों हाथ उलीचिये, यही सयानो काम"
इसका मतलब है कि जैसे नाव में बढ़ता पानी उसे डुबो देता है उसी तरह अक्लमंद लोग पैसे का सदुपयोग करते हैं, नहीं तो घर में आया हुआ ज़्यादा धन उस घर को बर्बाद कर देता है।

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